विरासत में चला प्रसिद्ध बांसुरी वादक प्रवीण गोडखिंडी का जादू

देहरादून –  विरासत महोत्सव में आज की संध्या बहुत ही खूबसूरत तब हो गई, जब सुविख्यात बांसुरी वादक प्रवीण गोडखिंडी ने अपने सांस्कृतिक बांसुरी वादन बहुत ही सुरीले अंदाज में प्रस्तुत किया I उनके बांसुरी वादन को सुन और देखकर सभी श्रोतागण एवं प्रशंसक गदगद ही नहीं हुए बल्कि झूमने भी लगे I उन्होंने राग मारू बिहाग से बांसुरी वादन की शुरुआत की, पंडित मिथिलेश झा ने तबले की मन मोह लेने वाली थाप देकर उनका साथ दिया I दोनों की जुगलबंदी बहुत ही शानदार और आकर्षण का केंद्र बनी रही I इस विरासत की शाम का मन और हृदय को छू लेने वाला नज़ारा व बांसुरी वादन सभी के दिलों को छू कर मन में समा रहा था I

प्रवीण गोडखिंडी का नाम बांसुरी वादन में देश ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय है यही कारण है कि आज विरासत में उनको सुनने और देखने के लिए अपार भीड़ श्रोताओं की रही I वे हिंदी के एक भारतीय शास्त्रीय हिंदुस्तानी बांसुरी वादक हैं।
उन्होंने बांसुरी बजाने की तंत्रकारी और गायकी दोनों शैलियों में महारथ हासिल की है। वे आकाशवाणी (एआईआर) द्वारा हिंदुस्तानी बांसुरी में शीर्ष रैंकिंग वाले कलाकार हैं। खास बात यह है कि उन्होंने 3 साल की उम्र में एक छोटी बांसुरी बजाना शुरू किया और 6 साल की उम्र में अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया। उन्होंने गुरु पंडित वेंकटेश गोडखिंडी और विद्वान अनूर अनंत कृष्ण शर्मा के कुशल मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
पेशे से एक इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हैं और उनका जुनून हमेशा संगीत रहा है।
उन्होंने उस्ताद जाकिर हुसैन, डॉ. बालमुरली कृष्ण, पंडित विश्व मोहन भट्ट, डॉ. कादरी गोपालनाथ और कई प्रतिष्ठित संगीतकारों जैसे प्रतिष्ठित संगीतकारों के साथ प्रदर्शन किया है। उन्होंने अर्जेंटीना के मेंडोज़ा में विश्व बांसुरी महोत्सव में बांसुरी का प्रतिनिधित्व किया है और उन्हें बेरू और विमुक्ति फिल्मों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिए गए हैं। उन्हें सुरमणि,नाद-निधि, सुर सम्राट,कलाप्रवीण, आर्यभट्ट,आस्था संगीत विद्वान की उपाधियों से सम्मानित किया गया। सौभाग्य से उन्होंने कई बड़े नामों के साथ काम किया है और कृष्णा नाम से अपना खुद का बैंड भी बनाया है। वह टीवी पर संगीतमय मनोरंजक कार्यक्रमों के संगीतकार और निर्माता हैं। वह कहते हैं कि मैंने उस समय बांसुरी को मुख्य वाद्य के रूप में उपयोग करने की पूरी कोशिश की, जब गायन को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता था। उन्होंने संगीत की विभिन्न शैलियों में काम किया है, लेकिन कभी भी व्यावसायिक रिकॉर्डिंग के लिए शास्त्रीय संगीत की उपेक्षा नहीं की।

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