देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से शनिवार को 419 जेंटलमैन कैडेट भारतीय सेना का हिस्सा बने। इसके साथ ही नौ मित्र देशों के 32 कैडेट भी पासआउट हुए। श्रीलंका के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीकेजीएम लासंथा रोड्रिगो ने रिव्यूइंग ऑफिसर के रूप में परेड की सलामी ली। उन्होंने आईएमए से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण कर पास आउट हो रहे ऑफिसर कैडेट्स को बधाई दी एवं उत्कृष्ट परेड, अनुशासित परिधान और अद्वितीय समन्वय के लिए प्रशिक्षकों और कैडेट्स की सराहना की। यह दौरा भारत और श्रीलंका की सेनाओं के बीच पारंपरिक, सुदृढ़ और ऐतिहासिक सैन्य संबंधों का परिचायक है तथा आपसी सहयोग को और सशक्त बनाएगा। परेड के दौरान ऑफिसर कैडेट्स ने सारे जहाँ से अच्छा और कदम-कदम बढ़ाए जा जैसे प्रेरक सैन्य धुनों पर अनुशासित और जोशीले कदमों से मार्च करते हुए अपनी प्रतिबद्धता, गर्व और आत्मविश्वास का परिचय दिया। इस ऐतिहासिक क्षण को उनके परिजन, गणमान्य अतिथि और देश-विदेश के दर्शक मीडिया के माध्यम से साक्षी बने।
आईएमए की पासिंग आउट परेड की शुरुआत सुबह 6.38 बजे मार्कर्स कॉल के साथ हुई। 6.42 बजे एडवांस कॉल के साथ कैडेट्स कदमताल करते हुए चौटवुड बिल्डिंग के परेड मैदान में पहुंचे। खास बात यह रही कि श्रीलंका के सेना प्रमुख खुद 1990 में भारतीय सैन्य अकादमी के 87वें कोर्स से कमीशन प्राप्त कर चुके हैं। ऐसे में भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में रिव्यूइंग ऑफिसर बनकर आने पर उनकी पुरानी यादें भी ताजा हुईं। आईएमए की पासिंग आउट परेड के दौरान बेस्ट कैडेट और कंपनी को मिलने वाले सम्मान का सबको इंतजार रहता है। इस बार भी जब इसकी घोषणा की गई तो आईएमए देहरादून का परेड समारोह स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस दौरान स्वॉर्ड ऑफ ऑनर और गोल्ड मेडलिस्ट के नाम घोषित किए गए। जिन जेंटलमैन कैडेट को अवॉर्ड मिले, उनके नाम इस प्रकार हैं। स्वॉर्ड ऑफ ऑनर व सिल्वर मेडल-अनिल नेहरा गोल्ड मेडल-रोनित रंजन, ब्रॉन्ज मेडल-अनुराग वर्मा, टीईएस सिल्वर-कपिल, टीजी सिल्वर आकाश भदौरिया, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर केरन कंपनी को प्रदान किया गया। परेड को संबोधित करते हुए समीक्षा अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल लासांथा रोड्रिगो ने भावुक होते हुए कहा कि आईएमए के पूर्व छात्र होने के नाते इस ऐतिहासिक परेड की समीक्षा करना उनके लिए गर्व और सम्मान की बात है।
उन्होंने याद किया कि किस प्रकार एक साधारण बाल कटवाने के साथ उनकी सैन्य यात्रा की शुरुआत इसी अकादमी से हुई थी। उन्होंने कहा कि वर्दी केवल एक पद का प्रतीक नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली है। एक सच्चा अधिकारी अपने चरित्र, आचरण और निर्णयों से अपने अधीनस्थों का विश्वास अर्जित करता है-यह सम्मान केवल रैंक से नहीं मिलता, यह हर दिन के कर्म से कमाया जाता है।
जनरल रोड्रिगो ने आईएमए के आदर्श वाक्य का उल्लेख करते हुए तीन मूलभूत जिम्मेदारियों पर बल दिया। राष्ट्र के प्रति, अपने सैनिकों के प्रति और वीर जवानों के परिवारों के प्रति। उन्होंने सैनिक के चार आधारभूत मूल्यों अनुशासन, ईमानदारी, निष्ठा और सम्मान को सफलता की कुंजी बताया। उनके अनुसार, अनुशासन आत्म-संयम है, ईमानदारी वह है जो तब भी बनी रहती है जब कोई देख न रहा हो, निष्ठा पद की सीमा से परे होती है, और सम्मान वह पवित्र विश्वास है जो वर्दी के साथ जुड़ा होता है। उन्होंने कैडेट्स को याद दिलाया कि वे अब देशभक्तों की एक गौरवशाली श्रृंखला का हिस्सा बन चुके हैं और उन्हें यह वर्दी गर्व के साथ, उद्देश्य की भावना से धारण करनी चाहिए। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को विशेष रूप से बधाई दी और अन्य कैडेट्स को भी लगातार प्रयासरत रहने के लिए प्रोत्साहित किया। विदेशी कैडेट्स को उन्होंने आईएमए के मूल्यों का वैश्विक दूत बताया।
अपने संबोधन में श्रीलंका सेना प्रमुख ने कहा कि आईएमए न केवल सैनिकों को प्रशिक्षण देती है, बल्कि राष्ट्र के भावी रक्षकों का निर्माण करती है। उन्होंने कैडेट्स से विवेकपूर्ण नेतृत्व करने, सत्य और न्याय के लिए संघर्ष करने तथा राष्ट्र की आशाओं को गर्वपूर्वक आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
अपने समापन उद्बोधन में उन्होंने कैडेट्स को प्ड। की महान विरासत में अपना नया अध्याय जोड़ने की प्रेरणा दी और उत्कृष्ट परेड के लिए बधाई दी। उन्होंने यह भी कहा कि कैडेट्स अब जीवनभर चलने वाले सैन्य बंधुत्व का हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के प्रेरणास्पद शब्दों के साथ अपना संबोधन समाप्त किया दृ “सच्चे बनो, ईमानदार बनो, निर्भीक बनो।”