IMA में डिप्टी कमांडेंट परेड का हुआ आयोजन

देहरादून। आईएमए में डिप्टी कमांडेंट परेड का आयोजन किया गया। जेंटलमैन कैडेट्स ने कदम से कदम मिलाकर ड्रिल स्क्वायर पर परेड की तो उनका जोश और जज्बा देखते की बन रहा था। आईएमए के डिप्टी कमांडेंट एवं मुख्य प्रशिक्षक मेजर जनरल आलोक जोशी ने परेड की सलामी ली। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से 10 दिसंबर (शनिवार) को 344 कैडेट पास आउट होंगे। इनमें 314 भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे, जबकि 30 विदेशी कैडेट हैं। इन कैडेट ने मंगलवार को डिप्टी कमांडेंट परेड में कदमताल की। डिप्टी कमांडेंट ने कैडेट्स की सराहना की और उन्हें भारतीय सेना का बेहतरीन अधिकारी बनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षकों के प्रयास और जेंटलमैन कैडेट्स की कड़ी मेहनत ड्रिल स्क्वायर पर नजर आ रही है।

डिप्टी कमांडेंट ने कैडेट्स में जोश भरते हुए कहा कि अच्छे आचरण व पराक्रम के साथ एक योद्धा की जिम्मेदारियां निभाएं। एक सैन्य अफसर की अपने हरेक जवान के प्रति जिम्मेदारी बनती है। उसके भरोसे पर खरा उतरने की कोशिश करें। ऐसे उदाहरण स्थापित करें कि वे गर्व से आपकी ओर देखें। यही अकादमी में सिखाया भी गया है। डिप्टी कमांडेंट ने कहा कि भारतीय सैन्य दस्ता दुनिया में सबसे अच्छा, दिल से सरल, वफादार और देशभक्ति से भरा है लेकिन एक अधिकारी के रूप में आपको अपने इरादे और कार्यों की सत्यता व पवित्रता के आधार पर सैनिकों का सम्मान और विश्वास अर्जित करना होगा। उन्होंने कहा कि विदेशी कैडेट्स ने यहां न सिर्फ जीवनभर के लिए दोस्त बनाए हैं, बल्कि अपने देश का भी बहुत अच्छे ढंग से प्रतिनिधित्व किया। बात जब भी देश के सरहदों की हिफाजत की होती है तो इसमें उत्तराखंड का नाम सबसे पहले आता है। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करना देवभूमि की पुरानी परंपरा रही है। सेना में सिपाही हो या फिर अधिकारी, उत्तराखंड का दबदबा कायम है।

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भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर पास आउट होने वाले जेंटलमैन कैडेट की संख्या भी इस सच्चाई को बयां करती है। जनसंख्या घनत्व के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड देश को सबसे अधिक जांबाज देने वाले राज्यों में शुमार है। दशकों पूर्व से ही यह परंपरा निरंतर चली आ रही है। इस बार उत्तराखंड के 29 जेंटलमैन कैडेट पास आउट होंगे।