देहरादून। विधानसभा में बैकडोर भर्तियों से सदन की गरिमा के प्रतिकूल ठहराते हुए, स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने अब तक के अध्यक्षों के स्टैंड पर एक तरह से सवाल उठा दिया है। ऋतु ने साफ तौर पर विशेषाधिकार को सही फ्रेम में रखने की वकालत कर खासकर अपने पूर्ववर्ती प्रेमचंद अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसमें भी मौजूदा सरकार में मंत्री होने के नाते प्रेमचंद सीधे खतरे की जद में है। ऋतु खंडूड़ी ने साफ तौर पर कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के कुछ विशेषाधिकार हो सकते हैं लेकिन विशेषाधिकार के नाम पर हर चीज को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। इसे सही फ्रेम में देखने की जरूरत है। उन्होंने सचिव मुकेश सिंघल को भी छुट्टी पर भेज दिया है।
इन दोनों ही मामलों पर पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का रुख अलग रहा है। प्रेमचंद विशेषाधिकार और नियम की आड़ में ना सिर्फ भर्तियों को जायज ठहरा रहे थे, बल्कि सचिव को तीन- तीन प्रमोशन देने के लिए भी नियमों का हवाला दे रहे थे। अब भर्तियों पर अध्यक्ष का रुख साफ होने के बाद सियासी तौर पर प्रेमचंद के लिए खतरा बढ़ गया है। चुन चुनकर भाजपा और संघ के करीबियों को नौकरी दिए जाने की बात सामने आने के बाद, पार्टी पर इस मामले में सियासी रूप से भी फैसला लेने का दबाव बढ़ गया है। पूर्व में हुई बैकडोर भर्ती और नियमों का तर्क, वर्तमान अध्यक्ष द्वारा खारिज कर दिए जाने से उनका नैतिक आधार कमजोर हो गया है।