विधायी कार्य निपटने के साथ ही सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

देहरादून। उत्तराखंड में विधायी कार्य निपटने के साथ ही सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। विधानसभा के प्रभारी सचिव हेम पंत ने सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने की अधिसूचना भी जारी कर दी। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने एक-एक कर विधेयकों को पारित कराने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें सदन ने ध्वनिमत से पारित किया। महिलाओं को राजकीय सेवा में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण और राज्य में जबरन धर्मांतरण पर सख्ती से अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक समेत कुल 14 बिल बिना किसी चर्चा के करीब सवा घंटे में पास हो गए। जबकि दो विधेयक वापस लौट गए। महिला क्षैतिज आरक्षण वाले विधेयक पर विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने समर्थन किया। समूचे सदन ने सर्वसम्मति से विधेयक को मंजूरी दी।

विधानसभा में सदन की कार्यवाही के दौरान विधायकों के मोबाइल पर बात करने और दीर्घा से इशारे करने पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने नाराजगी जताते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। स्पीकर ने पीठ से निर्देश दिए कि कोई भी सदस्य सदन की मर्यादा तोड़ता है तो मुझे कार्रवाई करनी पड़ेगी। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में सत्र नहीं करवाने के मुद्दे पर सदन खूब गरमाया। विपक्ष ने अवमानना नोटिस देकर सरकार को घेरने की कोशिश की। आरोप लगाया कि सरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर भूल गई। विपक्ष ने कहा कि सरकार को गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करना चाहिए। विपक्ष ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की भर्तियों में घोटाले के मुद्दे पर सदन में हंगामा किया। मामले की सीबीआई जांच की मांग उठाई। सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया तो नाराज विपक्षी सदस्यों ने सदन से सांकेतिक तौर पर वॉकआउट कर दिया। जो विधेयक हुए पारित हुए उनमें उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिक आरक्षण) विधेयक। उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक। उत्तराखंड विनियोग (2022-23 का अनुपूरक) विधेयक। बंगाल, आगरा और आसाम सिविल न्यायालय (उत्तराखंड संशोधन और अनुपूरक अनुबंध) विधेयक। उत्तराखंड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) संशोधन विधेयक।, पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक। भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक, उत्तराखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक।

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उत्तराखंड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध संशोधन विधेयक। उत्तराखंड जिला योजना समिति संशोधन विधेयक। पंचायती राज संशोधन विधेयक। हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक। उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन व विकास संशोधन विधेयक, उत्तराखंड विशेष क्षेत्र (पर्यटन का नियोजित विकास और उन्नयन) संशोधन विधेयक शामिल हैं। जो विधेयक हुए वापस हुए उनमें उत्तराखंड पंचायतीराज द्वितीय संशोधन विधेयक व कारखाना उत्तराखंड संशोधन विधेयक शामिल हैं।