नैनीताल-रानीबाग और पूर्णागिरि रोपबे से बदलेगा राज्य का पर्यटन स्वरूप।

देहरादून : आम बजट उत्तराखंड के पर्यटन के लिहाज से भी गई मामलों में बेहद खास है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में की गई घोषणा से नैनीताल-रानीबाग और चंपावत जिले के पूर्णागिरि में प्रस्तावित महत्वाकांक्षी रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर उम्मीदें फिर बढ़ गई है, में रोपवे को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी माडल के तहत संचालित करने की बात कही गई है। ऐसा होता है तो यहां पर्यटन कारोबार को भी रफ्तार मिलेगी। नैनीताल में वाहनों का दबाव कम होगा तो पर्यटकों समेत स्थानीय लोगों को पर्यटन सीजन में जाम से मुक्ति मिलेगी। वहीं पूर्णागिरि में भी पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा होगी।

उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने तीन साल पहले नैनीताल से रानीबाग एचएमटी तक 11 किमी का रोपवे बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। इस प्रोजेक्ट को लेकर नैनीताल से रानीबाग के मध्य तय स्टेशनों का भूगर्भीय सर्वेक्षण भी आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ कर चुके हैं। नैनीताल के पर्यावरणविद अजय रावत ने हाईकोर्ट में इस प्रोजेक्ट के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने हनुमानगढ़ टर्मिनल की भूगर्भीय संवेदनशीलता को देखते हुए प्रोजेक्ट को शहर के अस्तित्व लिए खतरा करार दिया है।

करीब आठ सौ करोड़ के इस प्रोजेक्ट के तहत एचएमटी रानीबाग में टर्मिनल पॉइंट, डोलमार में स्टेशन, ज्योलिकोट में मिड टर्मिनल, हनुमानगढ़ी में अपर टर्मिनल बनना है। रानीबाग में 75 कमरों का थ्री स्टार होटल, 750 कार क्षमता वाली मल्टीस्टोरी पार्किंग, एक लाख वर्ग फिट में रिटेल फैमली एंटरटेनमेंट सेंटर बनना है। निजी कंपनी इस रोप वे का सर्वे कर चुकी है।

उत्तर भारत के प्रसिद्ध मां पूर्णागिरि धाम में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावित रोप-वे बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 15 जून 2015 को 35 करोड़ की लागत से बनने वाले रोप-वे का शिलान्यास किया था, लेकिन तब से अब तक शिलान्यास स्थल पर एक ईट भी नहीं रखी जा सकी है। रोपवे का निर्माण न होने से पूर्णागिरि के दर्शन के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को भैरव मंदिर से नौ किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर मंदिर पहुंचना पड़ रहा है। ठूलीगाड़-पूर्णागिरि रोप-वे का निर्माण यूरोपियन सेफ्टी तकनीकि से किया जाना है। रोप-वे की लंबाई 900 मीटर प्रस्तावित है। डबल रोप पर चलने वाली ट्रालियों में एक बार में 80 लोग और एक घंटे में एक हजार लोग आवाजाही कर सकते हैं। इसके बन जाने के बाद भैरव मंदिर से मां पूर्णागिरि मंदिर तक लगभग 11 किमी की खड़ी चढाई से श्रद्धालुओं को निजात मिलेगी।

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