देहरादून। ‘विद्या संवाद’ कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विभागीय कार्यों की समीक्षा के लिये विभिन्न जनपदों में जायेंगे। जहां वह शिक्षकों, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं से संवाद स्थापित करेंगे। विद्या संवाद कार्यक्रम के दौरान विभागीय अधिकारी शिक्षा की गुणवत्ता सहित विभागीय कार्यों का अवलोकन करेंगे, साथ ही न्यायालय में योजित वादों की संख्या में कमी लाने के लिये संबंधित शिक्षकों से वार्ता करेंगे। इसके लिये शिक्षा महानिदेशालय द्वारा सभी जनपदों के लिये अधिकारी नामित कर दिये हैं।
विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि नवम्बर माह के प्रथम सप्ताह प्रदेशभर में विद्या संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। जिसके तहत विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विभिन्न जनपदों में जाकर शिक्षकों, अभिभावकों और छात्र-छात्राओं से संवाद स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिये महानिदेशालय स्तर से जनपदवार अधिकारी नामित कर दिये गये है, जो शीघ्र ही संबंधित जनपदों में जाकर संवाद स्थापित करेंगे। विभागीय मंत्री ने बताया कि महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी को देहरादून जनपद आवंटित किया गया है, जबकि निदेशक माध्यमिक शिक्षा राकेश कुमार कुंवर को पिथौरागढ़, निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी को हरिद्वार, निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल को टिहरी, अपर निदेशक महानिदेशालय विद्यालयी शिक्षा राम कृष्ण उनियाल को उत्तरकाशी, अपर निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा एस0पी0 खाली को चमोली, अपर निदेशक एससीईआरटी डॉ0 आर0डी0 शर्मा को पौड़ी गढ़वाल, संयुक्त निदेशक डॉ0 एस0बी0 जोशी को चम्पावत, संयुक्त निदेशक एससीईआरटी आशा पैन्यूली को ऊधमसिंह नगर, प्रभारी अपर निदेशक सीमैट दिनेश चन्द्र गौड़ को रूद्रप्रयाग, संयुक्त निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा रघुनाथ लाल आर्य को बागेश्वर, हरीश चन्द्र सिंह रावत को नैनीताल और संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा कंचन देवराड़ी को अल्मोडा जनपद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम के तहत नामित अधिकारी अपने-अपने जनपदों के प्रत्येक विकासखंड में कम से कम तीन विद्यालयों का समग्र अनुश्रवण करेंगे, जिसकी रिपोर्ट वह आगामी 15 नवम्बर तक महानिदेशालय को उपलब्ध करायेंगे।
डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम के दौरान विभागीय अधिकारी न्यायालयों में दायर विभिन्न वादों से संबंधित शिक्षकों के साथ वार्ता कर वादों की संख्या में कमी लाने का प्रयास भी करेंगे ताकि वादों से संबंधित विभिन्न लम्बित प्रकरणों पर विभाग अग्रिम कार्रवाही कर शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुचारू कर सकेगा। इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान विद्यालयों में अधूरे पड़े निर्माण कार्यों, परीक्षाफल सुधार, वर्चुअल कक्षाओं के संचालन, एनईपी के अंतर्गत बालवाटिका कार्यक्रम की स्थिति, मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता सहित छात्रों के पठन-पाठन आदि की स्थिति का जायजा लेने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये गये हैं। डॉ0 रावत ने बताया कि विद्या संवाद कार्यक्रम की सभी जनपदों से प्राप्त रिपोर्ट की समीक्षा की जायेगी और रिपोर्ट में सुझाये गये सुझावों को अमल में लाया जायेगा।