आसान नहीं था 40 साल से लटकी परियोजना को मंजूरी दिलाना, मुख्यमंत्री धामी की दूरदर्शिता से राज्य सरकार को मिली बड़ी कामयाबी

देहरादून। दशकों से केंद्र में अटकी परियोजनाओं को स्वीकृत करवाना तो कोई उत्तराखण्ड की धामी सरकार से सीखे। ये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूरदर्शिता का ही परिमाण है कि पिछले 40 सालों से लटकी ‘जमरानी बांध परियोजना’ को मोदी कैबिनेट ने सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ स्वीकृति कर लिया। इंतजार का एक लम्हा ही काफी लंबा प्रतीत होता है, फिर y तो 40 साल का कालखण्ड था। भाबर क्षेत्र की लाइफ लाइन व बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना को मोदी मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिलना धामी सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अब इस महत्वपूर्ण परियोजना के काम में और तेजी आएगी। भाबर के लोगों की मुराद अब जल्दी ही पूरी हो सकेगी। कृषि के लिहाज से अति महत्वपूर्ण उत्तराखण्ड के भाबर क्षेत्र के लिए सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए यह परियोजना एक तरह से मील का पत्थर है। इस हकीकत को समझते हुए धामी सरकार ने वो सारे जतन किए जो किए जाने जरूरी थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की तरक्की के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस परियोजना को बेहद गंभीरता से लिया। उनके दिशा निर्देशन में काबिल अफसरों की टीम ने एक फुल प्रूफ रोड मैप तैयार किया और योजनाबद्ध तरीके से केंद्र तक इसकी पैरवी की गई। हर स्तर पर गंभीर प्रयास हुए। सबसे बड़ी बात है कि इस अभियान को आगे बढ़ाने में केन्द्र सरकार का भी पूरा सहयोग मिला। ‘केंद्रीय जलआयोग की तकनीकी सलाहकार समिति’ की ओर से जमरानी बांध परियोजना को मंजूरी दिलाना राज्य सरकार की सबसे बड़ी का कामयाबी रही। 09 किलोमीटर लम्बे, 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊंचे इस बांध के निर्माण से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा। इससे खासतौर पर ऊधमसिंहनगर व नैनीताल जिले को ग्रेविटी आधारित जलापूर्ति होगी। धामी सरकार की गंभीरता जा अंदाजा इस प्रोजेक्ट के लिए वन विभाग ने 351.49 हेक्टेयर जमीन दी गई है। यहां बताना जरूरी है कि इस प्रोजेक्ट की मंजूरी को धामी सरकार की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा था।

Also Read....  हल्द्वानी पहुंचते ही मुख्यमंत्री ने सबसे पहले सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचकर घायलों का जाना हाल