पहली बार आयोजित एनएसआरटीसी 2024 के दौरान, देश के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में पारदर्शिता और सटीकता की आवश्यकता को उजागर किया

देहरादून  – एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम, प्रथम राष्ट्रीय वैज्ञानिक गोलमेज सम्मेलन (एनएसआरटीसी 2024) का सफलता पूर्वक समापन हुआ। इस सम्मेलन का विषय “विकसित भारत 2047 के लिए विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी” था, जिसमें भारत के वैज्ञानिक भविष्य को आकार देने वाले महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति, विद्वान और दूरदर्शी सोच रखने वाले लोग एक साथ आए।

तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में प्रमुख शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और विद्वानों ने भाग लिया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भौतिक विज्ञान, जीवन विज्ञान, तथा इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपने-अपने अनुभवों और शोध परिणामों का आदान-प्रदान करना था। एनएसआरटीसी 2024 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी, विज्ञान और आध्यात्मिकता, सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर और विश्व शांति जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला गया। इस सम्मेलन का लक्ष्य मुख्य रूप से युवा शोधकर्ताओं के बीच इनोवेशन की सोच को प्रोत्साहित करना, तथा नई खोजों और सतत विकास के लिए विभिन्न विषयों के साथ-साथ और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना था।
एनएसआरटीसी-2024 के समापन समारोह में डॉ. सुजाता चाकलानोबिस, पूर्व सलाहकार/वैज्ञानिक जी, DSIR, नई दिल्ली, ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस सम्मेलन में उपस्थित विशिष्ट गणमान्य अतिथियों में माननीय पद्म विभूषण डॉ. आर. ए. माशेलकर; रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के पूर्व-कुलपति, श्री गणपति यादव; पद्म भूषण डॉ. विजय भटकर, संस्थापक निदेशक, सी-डैक, पुणे; यूनेस्को चेयर होल्डर प्रो. डॉ. विश्वनाथ डी. कराड, MIT-WPU के संस्थापक अध्यक्ष; MIT-WPU के कार्यकारी अध्यक्ष, श्री. राहुल वी. कराड; भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे के निदेशक, डॉ. सुनील एस. भागवत; NSRTC के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. डॉ. मिलिंद पांडे तथा प्रो. डॉ. भरत बी. काले शामिल थे।

इस अवसर पर सी-डैक, मुंबई के कार्यकारी निदेशक, डॉ. शशिकुमार एम. ने कहा, “प्रथम राष्ट्रीय वैज्ञानिक गोलमेज सम्मेलन (एनएसआरटीसी 2024) का सफलतापूर्वक समापन हुआ, जो भारत में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विषय पर गहरी चर्चा की, जिससे हमें इसकी असीमित संभावनाओं के साथ-साथ इसकी वजह से सामने आने वाली चुनौतियों का पता चला। हालाँकि एआई में बड़े पैमाने पर संभावनाएँ मौजूद हैं, लेकिन इसे सावधानी से अपनाया जाना चाहिए, साथ ही इसमें सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि किसी भी तरह के पक्षपात से बचा जा सके। इस सम्मेलन ने विभिन्न विषयों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया, जो सचमुच बेहद मूल्यवान है। इस सम्मेलन ने स्थायी और समतापूर्ण भविष्य के हमारे विज़न को आगे बढ़ाने के लिए एक नया मानक स्थापित किया। हमने जो हासिल किया है, उस पर मुझे बहुत गर्व है और आगे की राह को लेकर मैं बेहद उत्साहित महसूस कर रहा हूँ।”

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एनएसआरटीसी-24 के समापन समारोह की मुख्य अतिथि, डॉ. सुजाता चाकलानोबिस, पूर्व सलाहकार/वैज्ञानिक जी, DSIR, नई दिल्ली ने 2047 में विकसित भारत के विज़न पर जोर दिया। उन्होंने इस बात को उजागर किया कि विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी की मदद लेकर इस सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों और युवा विद्वानों से आग्रह किया कि, वे देश की चुनौतियों का समाधान करने के लिए अत्याधुनिक शोध में शामिल हों। उन्होंने एनएसआरटीसी-2024 के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए MIT-WPU को बधाई दी, जहाँ देश के सबसे प्रतिभावान लोगों ने महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया।

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए, यूनेस्को चेयर होल्डर आदरणीय प्रो. डॉ. विश्वनाथ डी. कराड, MIT-WPU के संस्थापक-अध्यक्ष ने कहा, “बीते तीन दिनों में, हमने बड़े ही शानदार तरीके से विचारों के आदान-प्रदान, तथा विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के भविष्य के बारे में अभूतपूर्व चर्चाएं देखी हैं। MIT-WPU में आयोजित इस सम्मेलन में जाने-माने वैज्ञानिक, शोधकर्ता और दूरदर्शी सोच रखने वाले लोग एकजुट हुए, जो इनोवेशन के साथ-साथ जो इनोवेशन और विभिन्न विषयों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए हम सभी के अटल इरादे को दर्शाता है। हम स्थायी और समतापूर्ण भविष्य के निर्माण के लिए प्रयासरत हैं, और इस दिशा में एनएसआरटीसी 2024 ने सही मायने में वैज्ञानिक क्षेत्र में नई खोज करने और उत्कृष्टता को हासिल करने के जज़्बे का उदाहरण पेश किया, जिसने समाज की भलाई के लिए अव्वल दर्जे की टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने में भविष्य के प्रयासों के लिए एक मिसाल कायम की।”

MIT-WPU के कार्यकारी अध्यक्ष, श्री. राहुल वी. कराड ने कहा, “MIT-WPU में, हम मानते हैं कि शिक्षा एवं शोध में बदलाव लाने की ताकत होती है, और यह सम्मेलन इस बात की मिसाल है कि हम स्वास्थ्य सेवा, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल परिवर्तन जैसी महत्वपूर्ण समस्याओं के समाधान के अपने इरादे पर अटल हैं। विशेषज्ञों के इतने सम्मानित पैनल की मेज़बानी करना हमारे लिए बड़े गौरव की बात है, साथ ही हम इस आयोजन से सामने आई सफलताओं और नए विचारों को लेकर बेहद उत्साहित हैं। MIT-WPU में पहले एनएसआरटीसी का सफलतापूर्वक समापन हुआ, जो वैज्ञानिक उत्कृष्टता और इनोवेशन को बढ़ावा देने के हमारे दृढ़ संकल्प का उदाहरण है। इस कार्यक्रम ने प्रमुख वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के बीच सहयोग और संवाद को प्रेरित किया, जो हमें विकसित भारत 2047 के लिए हमारे विजन की ओर ले जा रहा है।”

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इस सम्मेलन का आयोजन 8 प्रमुख विषयों पर किया गया: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जिसमें नैतिक ढांचे, विनियमों, सामाजिक भलाई और स्वास्थ्य देखभाल के लिए AI एवं भविष्य में नौकरी पर इसके प्रभावों को संबोधित किया गया; बायोटेक्नोलॉजी, जिसमें सिंथेटिक बायोलॉजी, जैव-सूचना विज्ञान, जैव-चिकित्सा उपकरण, जैव फार्मास्यूटिकल्स तथा जैव-निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया; डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन, जिसमें ग्रिड टेक्नोलॉजी , क्वांटम कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन, साइबर सुरक्षा और डिजिटल समावेशन शामिल थे; एडवांस्ड मैटेरियल्स एवं प्रोसेसिंग, जिसमें नैनोमटेरियल, ऑर्गेनिक इलेक्ट्रॉनिक्स, बायोमिमेटिक डिजाइन, सस्टेनेबल मैटेरियल्स तथा 3D प्रिंटिंग शामिल थे; स्वास्थ्य सेवा, जिसमें टिश्यू इंजीनियरिंग, रीजेनरेटिव मेडिसिन, वियरेबल डिवाइस के बारे में गहन जानकारी हासिल करना, तथा उच्च तकनीक वाली किफायती स्वास्थ्य सेवा को शामिल किया गया; विज्ञान, जिसमें वैज्ञानिक प्रवृत्ति एवं आध्यात्मिकता, वैज्ञानिक प्रवृत्ति, मस्तिष्क-मन-चेतना संबंध और आध्यात्मिक अभ्यास की भूमिका की जांच को शामिल किया गया; एग्री-टेक, जिसमें सटीक तरीके से कृषि, जेनेटिक इंजीनियरिंग, क्लाइमेट-स्मार्ट खेती, शहरी खेती और एग्रीटेक स्टार्टअप पर विशेष ध्यान दिया गया; तथा जलवायु परिवर्तन, जिसमें क्लाइमेट मॉडलिंग, सर्कुलर इकोनामी, सस्टेनेबल मोबिलिटी, हरित भवन और ट्रांजिशन के प्रबंधन पर ध्यान दिया गया।

देश भर के प्रमुख 130 वैज्ञानिकों एवं गणमान्य हस्तियों ने अपनी उपस्थिति से एनएसआरटीसी 2024 की शोभा बढ़ाई, जिनमें डॉ. अशोक जोशी, पद्मश्री डॉ. थल्लापई प्रदीप, प्रोफेसर डॉ. एम.एस. रामचन्द्र राव, डॉ. रिचर्ड लोबो, प्रो. डॉ. अजीत कुलकर्णी, डॉ. उमेश वाघमोरे, डॉ. दीपांकर दास शर्मा, डॉ. दिनेश असवाल, डॉ. टाटा ए. राव, डॉ. भूषण पटवर्धन, प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, डॉ. नीरज खरे, डॉ. के. सामी रेड्डी, डॉ. अतुल वर्मा, अमेरिका से डॉ. अशोक खांडकर, डॉ. सुमित्रा, इसरो के वैज्ञानिक डॉ. इलंगोवन, आईएएस बेंगलुरू के प्रो. कृपानिधि, प्रो. अनिक कुमार, ICER के निदेशक श्री अशोक गांगुली, डॉ. रजत मोना, प्रो. दास गुप्ता, डॉ. नाग हनुमैया, समीर निदेशक हनमंतराव, सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रो. डॉ. कौतुभ दलाल, तथा पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के प्रो. सचिन पोल शामिल थे।

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